About Diabetes

मधुमेह : एक परिचय

आज कल हर छोटे-बड़े शहर कस्बों में मधुमेह जैसी बीमारियां आम हो गई हैं।
कुछ सालों पहले तक तो ऐसी बीमारियां कुछ खास वर्ग या उम्र के लोगों को ही हुआ करती थी,लेकिन महानगरों के आधुनिक लाइफ स्टाईल, उनके रहन-सहन, खान-पान के कारण मधुमेह के मरीजों में शर्करा की मात्रा नियंत्रित नही रहती, इस समस्या का पता तब चलता है जब यह बीमारी गंभीर रूप ले लेती है।
मधुमेह अपने आप मे ही कई और गंभीर बीमारी एवं जटिलताओं की जड़ है जिससे लड़ने का सबसे सशक्त हथियार है इसके बारे में जानकारी और जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव।यह भी सत्य है मधुमेह के साथ भी एक अच्छा जीवन जिया जा सकता है।बस जरूरत है तो जागरूक होकर सही कदम उठाने की।
आइए हम सब मिलकर मधुमेह को समझने की कोशिश करें और अपने आने वाले कल को मधुमेह के साथ भी बेहतर बनाएं।

डॉ. संदीप सराफ

एम.डी. फिजिशियन, मधुमेह विशेषज्ञ


मधुमेह (डायबिटीज) क्या है ?

हमारे पेट और रीढ़ की हड्डी के बीच में पेंक्रियाज (Pancreas) नामक ग्रंथि होती है , जो इंसुलिन (Insulin) नामक हार्मोन बनाती है। इंसुलिन हमारे रक्त में ग्लूकोज (शर्करा या शुगर) की मात्रा को नियंत्रित करता है । हम जो खाना खाते हैं, उससे हमारा शरीर ग्लूकोज बनाता है ताकि हमारे शरीर को ऊर्जा मिल सके , लेकिन उसे यह कार्य करने के लिए इंसुलिन की आवश्यकता होती है । जब शरीर में इंसुलिन की मात्रा कम हो जाती है अथवा इंसुलिन की कार्यक्षमता में कमी आ जाती है तब खून में शर्करा की मात्रा अर्थात ब्लड ग्लूकोज लेवल (Blood Glucose Level) बढ़ जाती है । शरीर की इस अवस्था को मधुमेह या डायबिटीज (Diabetes) कहते हैं।

डायबिटीज के प्रकार

डायबिटीज मुख्यत: निम्न प्रकार की होती है –

1. टाइप 1 मधुमेह (Type 1 Diabetes)
इसका पता सामान्यता बचपन में या किशोर अवस्था में लगता है और ये तब होती है जब पैंक्रियाज इंसुलिन का निर्माण नहीं कर पाता । मधुमेह से पीड़ित लगभग 10 प्रतिशत लोगो को टाइप 1 मधुमेह होता है । टाइप 1 मधुमेह के कारण अभी अज्ञात ही हैं, लेकिन हमे यह जरूर मालूम है कि इसे रोका नहीं जा सकता है और यह बहुत ज्यादा चीनी खाने से नहीं होती । टाइप 1 मधुमेह वाले सभी व्यक्तियों के लिए इंसुलिन अनिवार्य है ।

2. टाइप 2 मधुमेह (Type 2 Diabets): शेष 90 प्रतिशत को टाइप 2 मधुमेह होता है इसमें पैंक्रियाज पर्याप्त मात्रा में नही बना पाता अथवा शरीर इंसुलिन का प्रभावी रूप से उपयोग नही पाता है । टाइप 2 मधुमेह सामान्यता व्यस्क अवस्था में होता है हालांकि उच्च-जोखिम वाले जनसंख्या वर्गों में बढ़ती संख्या में बच्चों में भी यह पाया जाने लगा है । टाइप 2 मधुमेह को जीवनशैली संबंधी बदलावों को अपनाकर नियंत्रित रख सकते हैं, जैसे की स्वस्थ खानपान और शारीरिक रूप से सक्रिय रह कर । मधुमेह की दवाएं अथवा इंसुलिन भी आवश्यक होती है ।

3 . गर्जभकालीन मधुमेह (Gestational Diabetes):
यह एक अस्थाई दशा है जो गर्भावस्था के दौरान होती है यदि किसी गर्भवती महिला में गर्भकालीन मधुमेह पाई जाती है तो उसे और उसके बच्चे को भविष्य में मधुमेह होने का खतरा बढ़ जाता है ।अक्सर गर्भावस्था के 5-6 महीने के दौरान इसका पता चलता है । इसका इलाज गोलियों से नही किया जाता । संतुलित आहार , सही व्यायाम एवं इंसुलिन द्वारा इसे कंट्रोल करते हैं ।

4. इंपेयर्ड ग्लूकोज टॉलरेंस (Impaired Glucose Tolerance)- इस वर्ग के लोगों में खून में शक्कर की मात्रा सामान्य से अधिक तो होती है पर इतनी अधिक नही कि उसे डायबिटीज की श्रेणी में रखें । इस वर्ग के मरीजों को अपना खास ख्याल रखना आवश्यक है क्योंकि यही अवस्था आगे चल कर डायबिटीज का रूप ले लेती है ।

5 . वंशानुगत डायबिटीज (Genetic Diabetes)-  कुछ वंशानुगत बीमारियों में डायबिटीज होती है । जैसे डाउन सिंड्रोम , टर्नर सिंड्रोम, क्लाइनफेल्टर  सिंड्रोम एवम एलस्ट्रॉम  सिंड्रोम आदि ।

6. सेकेंडरी डायबिटीज (Secondary Diabetes)- सामान्यत: पैंक्रियाज की बीमारी , वायरस संक्रमण तथा कुछ दवाइयां जैसे – कार्टिसोन , थायजॉइड पेशाब की गोलियां , गर्भनिरोधक दवाइयां एवम कुछ हार्मोन्स खून में शक्कर की मात्रा बढ़ाते हैं ।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

1.क्या टाइप 2 डायबिटीज ग्रस्त हर मरीज को दवा लेना जरूरी है ?

पहली बार डायबिटीज का निदान होने पर तुरंत दवा की जरूरत नहीं | क्योंकि स्वस्थ संतुलित भोजन व्यायाम और वजन घटाने से आपके रक्त में ग्लूकोज का स्तर कम हो सकता है | अगर ऐसा करने से फायदा ना हो तो बीमारी के बढ़ने के साथ-साथ आपको दवा की जरूरत पड़ सकती है |

2. यदि मैं अपनी दवा की एक खुराक लेना भूल जाऊं तो मुझे क्या करना चाहिए ?

आपको डॉक्टर के निर्देश अनुसार नियमित रूप से दवा लेनी बहुत जरूरी है पर यदि आप कभी दवा की खुराक लेना भूल जाएं तो इसकी दोगुनी खुराक कभी ना लें इसके लिए आप अपने डॉक्टर की सलाह ले सकते हैं |

3. क्या मैं अपनी दवा का समय बदल सकता हूं ?

आप अपनी दवा लेने का समय नहीं बदल सकते हर दवा का अपना खास असर/प्रभाव होता है और इसलिए इसे अपने निर्धारित समय पर ही लेना चाहिए |

4. लक्ष्य प्राप्त हो जाए तो क्या दवा या इंसुलिन लेना पूरी तरह बंद किया जा सकता है?

दवाओं का उपयोग डायबिटीज मरीज के रक्त में ग्लूकोज स्तर पर नियंत्रण रखने के लिए किया जाता है |
यह शरीर में मौजूद डायबिटीज के असली कारण का उपचार नहीं है | बहरहाल जीवनशैली या आदतों में परिवर्तन करके लोग टॉमी दवाओं की खुराक में परिवर्तन किया जा सकता है और कई बार इन्हें पूरी तरह बंद करने की सिफारिश भी की जा सकती है लेकिन ऐसा केवल डॉक्टर की सलाह और देखरेख में ही किया जाना चाहिए |

5. इंजेक्शन ली गई तो त्वचा पर मुझे सूजन हो जाती है क्या यह इंसुलिन का विपरीत प्रभाव है ?

यदि आप सही तरीके से इंसुलिन इंजेक्शन नहीं लेते या एक ही जगह पर बार-बार इंजेक्शन लेते हैं तो आपको सूजन हो सकती | यह विपरीत प्रभाव नहीं आप सही तरीके से इंजेक्शन लेना सीखें |

6. यदि इंसुलिन को ठंडी जगह पर ना रखा जाए तो क्या होगा ?

यदि इंसुलिन को बताए गए तापमान से अधिक या कम तापमान पर लंबे समय तक रखा जाए तो इसकी पोटेंसी या शक्ति कम हो जाती है | इंसुलिन की कार्य क्षमता खत्म हो जाती है और वापस नहीं आती | इससे इंसुलिन की गुणवत्ता भी प्रभावित हो जाती है |

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