मधुमेह : एक परिचय
आज कल हर छोटे-बड़े शहर कस्बों में मधुमेह जैसी बीमारियां आम हो गई हैं । कुछ सालों पहले तक तो ऐसी बीमारियां कुछ खास वर्ग या उम्र के लोगों को ही हुआ करती थी, लेकिन महानगरों के आधुनिक लाइफ स्टाईल , उनके रहन-सहन , खान-पान के कारण मधुमेह के मरीजों में शर्करा की मात्रा नियंत्रित नही रहती, इस समस्या का पता तब चलता है जब यह बीमारी गंभीर रूप ले लेती है। मधुमेह अपने आप मे ही कई और गंभीर बीमारी एवम जटिलताओं की जड़ है जिससे लड़ने का सबसे सशक्त हथियार है इसके बारे में जानकारी और जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव । यह भी सत्य है मधुमेह के साथ भी एक अच्छा जीवन जिया जा सकता है । बस जरूरत है तो जागरूक होकर सही कदम उठाने की । आइए हम सब मिलकर मधुमेह को समझने की कोशिश करें और अपने आने वाले कल को मधुमेह के साथ भी बेहतर बनाएं ।
डॉ. संदीप सराफ
एम.डी. फिजिशियन, मधुमेह विशेषज्ञ
Our Service
सभी प्रकार की जांच
सुबह खाली पेट , भोजन के दो घंटे बाद एवं शाम को भोजन से पहले खून की जांच करवाना चाहिए .
ई.सी.जी
मधुमेह के रोगी को जब भी सीने में दर्द के लक्षण उभरे ई.सी.जी की जांच करवाना चाहिए .
डाइट एंड डायबिटीज काउन्सलिंग
डायबिटिक मरीज को दवाई के साथ-साथ उसकी काउंसलिंग भी करवाना अति आवश्यक है
इंसुलिन पम्प मैनेजमेंट
इंसुलिन लेने के लिए एक और नया तरीका है इंसुलिन पंप द्वारा लेना ।
सी. जी. एम. एस
सी.जी.एम.एस का मतलब लगातार ग्लूकोज़ अवलोकन तंत्र या टेस्ट सिस्टम .
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डॉक्टर द्वारा निजी रूप से हर मरीज की ग्लूकोस मॉनिटरिंग

मधुमेह रोगियों के लिए मरीजों के अनुरूप विशेष आहार तालिका

मधुमेह एवं उससे होने वाले विकारों की विशेषज्ञों द्वारा सलाह एवं मॉनिटरिंग

सभी मरीजों को आपातकालीन परिस्थिति में 24 घंटे डॉक्टर द्वारा सीधी बात करने की सुविधा
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Sitapur Health Care Clinic
C/O Dr. Sandeep Saraf
Behind Prakash Petrol Pump,
Vijay Laxmi Nagar
Sitapur (UP) – 261001
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3pm
Evening: 5pm – 9pm
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9754220007
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Frequently Asked Questions
हमारे पेट और रीढ़ की हड्डी के बीच में पेंक्रियाज (Pancreas) नामक ग्रंथि होती है , जो इंसुलिन ( Insulin) नामक हार्मोन बनाती है। इंसुलिन हमारे रक्त में ग्लूकोज (शर्करा या शुगर) की मात्रा को नियंत्रित करता है ।
हम जो खाना खाते हैं, उससे हमारा शरीर ग्लूकोज बनाता है ताकि हमारे शरीर को ऊर्जा मिल सके , लेकिन उसे यह कार्य करने के लिए इंसुलिन की आवश्यकता होती है ।
जब शरीर में इंसुलिन की मात्रा कम हो जाती है अथवा इंसुलिन की कार्यक्षमता में कमी आ जाती है तब खून में शर्करा की मात्रा अर्थात ब्लड ग्लूकोज लेवल (Blood Glucose Level) बढ़ जाती है । शरीर की इस अवस्था को मधुमेह या डायबिटीज (Diabetes) कहते हैं।
1. टाइप 1 मधुमेह (Type 1 Diabetes)
2. टाइप 2 मधुमेह (Type 2 Diabets)
3 . गर्जभकालीन मधुमेह (Gestational Diabetes)
4. इंपेयर्ड ग्लूकोज टॉलरेंस (Impaired Glucose Tolerance)
5 . वंशानुगत डायबिटीज (Genetic Diabetes)
6. सेकेंडरी डायबिटीज (Secondary Diabetes)
मधुमेह के लक्षण क्या हैं ?
• असामान्य प्यास
• बार बार मूत्र त्याग
• लगातार भूख लगना
• वजन में परिवर्तन (कम या अधिक)
• अत्यधिक थकान अथवा उर्जा की कमी
• नज़र धुंधली होना
• बार -बार या फिर से होने वाले संक्रमण
• कट या नील जो देर से ठीक होते हों
• हाथों और पैरों में झुनझुनी या उनका सुन्न होने का एहसास
• लिंग उत्थापन होने या उसकी उत्थापित अवस्था बनाए रखने में परेशानी ।
मधुमेह से जुड़ी जटिलताएं
यदि उपचार ना किया जाए या उचित रूप से नियंत्रित। ना किया जाए तो मधुमेह से उनके प्रकार की जटिलताएं पैदा हो सकती हैं । मधुमेह रोगियों में सबसे ज्यादा खतरा आंख , पैरों व किडनी को होता है। रक्त में शर्करा की मात्रा संतुलित नही होने से मस्तिष्क एवं ह्रदय पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है । इसके अलावा वजन बढ़ना , चिड़चिड़ापन, अवसाद ,चक्कर आना , सिरदर्द , मांसपेशियों में ऐंठन आदि बीमारियों का भी खतरा रहता है । सही मधुमेह नियंत्रण से इन जटिलताओं को रोकने या उन्हें विलंबित करने में मदद मिल सकती है । रक्त में शर्करा का संतुलन बनाए रखना बहुत जरूरी है ।
अब यह सबसे जरूरी है कि आप शरीर के किस हिस्से पर इंजेक्शन लगाएं ।
इन्सुलिन लेने की सबसे अच्छी जगह है पेट , जांघ , और बांह ।
मांशपेशियों या नस में इंजेक्शन कभी न लें ।
इंजेक्शन लेने पहले त्वचा को अच्छी तरह साफ करें ।
हर बार इंजेक्शन लेते समय नई नीडल का इस्तेमाल करें ।
इंजेक्शन कैसे लें : चरण-दर-चरण प्रक्रिया
इन्सुलिन काट्रिज भीतर डालें
ढक्कन को खींचकर निकालें । काट्रिज होल्डर को घुमाकर खोलें और पेन की बॉडी से अलग कर लें स्क्रू को वापस पेन के भीतर धकेल दें।
इन्सुलिन काट्रिज के छोटे सिरे को काट्रिज होल्डर में डालें ।
अब काट्रिज होल्डर और पेन बॉडी को एक साथ भीतर डालें । पेन बॉडी को काट्रिज होल्डर को अच्छी तरह घुमाकर कस दें।
इन्सुलिन की जांच करें ।
केवल क्लाउडी (धुंधले) इन्सुलिन के लिए :
अपनी हथेली पर पेन को धीरे-धीरे 10 बार गोल-गोल घुमाएं और पेन को 10 बार उल्टा-सीधा करें।
इन्सुलिन का घोल एक समान मिश्रण के रूप में दिखाई देना चाहिए ।
पेन को प्राइम करें
पेपर टैब को नीडल की बाहरी शील्ड से निकालें । नीडल को सीधा का काट्रिज होल्डर पर लगा दें । बाहरी कैप और भीतरी कैप को खींचकर बाहर निकलें । इंजेक्शन लेने के बाद नीडल को निकालने के लिए बाहरी कैप को संभालकर रखें ।
इन्सुलिन की खुराक इंजेक्ट करें
1.अपनी मनचाही खुराक के निशान तक डोज नॉब को घुमाएं ।
2.नीडल को भीतर डालें अपना अंगूठा इंजेक्शन बटन पर रखें और धीरे धीरे तब तक नीचे ढकेलें , जब तक बटन का आगे सरकना न रुक जाए । बटन को 5 सेकंड तक पकड़े रहें , इसके बाद नीडल को त्वचा से बाहर निकाल लें । अब यह देखें कि डोज विंडो पर 0 का निशान है या नही , ताकि यह निश्चित हो सके कि आपने अपनी पूरी खुराक ले ली है ।
3.अब सावधानीपूर्वक बाहरी कैप वापस लगा दें । घुमाकर कैप की गई नीडल को निकाल लें । कैप को पैन पर लगा दें।
4.सावधानी से कैप को वापस लगा दें ।
5.कैप की गई नीडल को घुमाकर निकाल लें । कैप को पेन पर लगा दें ।
Testimonial
What Clients Say
It was a really good choice to see a dietitian.
My diet and sleep schedule were extremely messed up. After joining her, she brought my life back on track from changing my diet to fixing my sleep schedule.
She gave me the task of completing 10k steps a day (with proof – a screenshot) and gave me a daily diet plan with timings. She is extremely friendly but strict at times. Everything she did helped me a lot to loose weight and gain a healthy lifestyle.
Anugya BhargavaPatient (Sitapur, Uttar Pradesh)
I am a patient of Dr. Sandeep Saraf. One of my friends told me about him and initially, my glycosylated levels here were 10.00. Then after going to Sandeep Sir, I got the perfect Dr. He changed my thought process of taking insulin from two times to four times, and his superb guidance and my fellowship made my glycosylated levels around 6.8 and I got really satisfied with these results. So thanks to Sandeep Sir and his team for providing such treatments from bottom of my heart.
Jharna Ahluwalia, Patient (Raipur, Chhattisgarh)
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